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कहानीःरात होने से पहले

रात होने से पहले  (भाग 5)

       सरीन बड़े ही असमंजस में था।शुभिता की बड़ी चिंता थी उसे।उपर से  कोर्ट का डेटपड़ गया था।उसने अपनी बहन को फोन कर वहां बुलवाया ।वह शुभि को और असिमा को अस्पताल में अकेली छोड़ राजपुर लौट आया।

दूसरे दिन कोर्ट का डेट था।थोड़ी तैयारी करना जरूरी था।सरीन आधी रात तक जूझता रहा अपने झूठ को सच का जामा पहनाने में ।

   कोर्ट रूम । सामने जज साहब बैठे हैं।कटघरे में माधव नारायण खड़े होकर जोर जोर से चीख चीख कर कह रहा था

"जज साहब, मैं बाल बच्चे दार आदमी हूँ।मैं सच बोल रहा हूँ ..मैं ने कोई जमीन नहीं बेची है ..मेरे साथ न्याय कीजिए।मेरी बेटी शादी के काबिल हो गई है।कैसे करूँगा.. मैं उसकी शादी.. ।कहाँ से लाउंगा मैं रूपये..।
मैंने कोई जमीन नहीं बेची है।भगवान कसम।जज साहब आपकी कसम...!!"

पूरा कोर्ट रूम सन्नाटे  और माधव नारायण की सिसकियों से भर गया था।
प्रतिपक्षी और विपक्षी दोनों की दलीलों को सुनने के बाद
थोड़ी देर में जज साहब की आवाज सुनाई दी

"ऑर्डर ऑर्डर.. अभी पर्याप्त सबूत इकट्ठे नहीं हुए हैं  इसलिए  नई तारीख तक कोर्ट तक मुल्तवी की जाती है...।"
जज साहब उठ कर चले गए।कोर्ट खत्म हो गया।

कनखी से सरीन ने माधव नारायण पर एक सरसरी निगाह डाला।उसका पूरा चेहरा दुख और पछतावे में डूबा हुआ था।बेबस सा भारी कदमों से चलने की कोशिश.. लड़खड़ाते हुए बाहर जा रहा था।
"कब तक इन झूठी ताखिकों के बूते मैं आस लगाया रहूंगा।"
वह लड़खड़ा रहा था।
सरीन ने धोखे से उसकी जमीन हड़प लिया था।

    तभी जोरों का होहल्ला होने लगा।लोग चिल्लाने लगे थे।माधव नारायण गश खाकर गिर पड़ा था।उसके मुंह से झाग गिरने लगा था।उसका पूरा बायां अंग सुन्न पड़ गया था।

सरीन कुछ देर तक तो देखता रहा फिर पलट कर चल दिया।

  यह कोर्ट है मी लौर्ड! यहां हार  जीत के ही खेल चलते रहते हैं। जो जीता वो सिकंदर जो हारा वो...!!माधव नारायण!!!  सरीन मुस्कुरा कर चला गया।

****
माधव नारायण को पक्षाघात हो गया था।लकवे के कारण उसका बांया पूरा शरीर शिथिल पड़  गया था।
वह और उसका पूरा परिवार अब पूरी तरह सड़क पर आ गया था।

माधव नारायण की बहन के पति ने दहेज को लेकर उसे उसके दो बेटियों के साथ  मायके में छोड़ दिया था।
एक बेटी तो ब्याह के लायक भी हो गई थी।कुछ दिन पहले तक माधव उसकी शादी ठीक करने के लिये भाग दौड़ कर रहा था।
दूसरी भांजी कुसुम अभी छोटी ही थी।स्कूल मेंपढ़ रही थी।

माधव के कुल चार बच्चे थे।पहली बड़ी बेटी  सुगंधा थी जो कि इस वर्ष ग्यारहवीं से बारहवीं में जाने वाली थी।उससे सब छोटे थे।मंगल दसवीं में था।आशा और कुसुम आठवीं में और बसंत  यानी माधव का सबसे छोटा बेटा अभी छठवीं में था।

चौधरी रतन देव ने उसका सारा जमीन हड़प लिया।वहां कई तरह के कंस्ट्रक्शन करा कर उसे अपने ट्रकों का पार्किंग बना लिया।अंदर ही अंदर पाकिस्तान तथा सिंधप्रांत के साथ ड्रग्स और कई तरह के प्रतिबंधित चीजों की तस्करी के लिये एक सुरक्षित गोदाम बना लिया था।

केस के लिए माधव ने अपनी घर और दुकान तक गिरवी रख दिया था।अब जब वह खुद ही अपाहिज हो गया था तो कोई उसकी कितनी मदद करता।वह मुंहताज हो गया था।
घर में बहुत बड़ी विपत्ति आ पड़ी थी।

माधव नारायण के वकील राम नारायण बाबू बड़े ही सज्जन और नेकदिल आदमी थे।खुद कई कल्याण कारी संस्था ओं के साथ जुड़े थे।जब उन्हें माधव बाबू की हालत का पता चला तो वे उसके घर आए।
उनके सामने माधव बाबू की पत्नी और बहन फूट फूट कर रोने लगी।
"वकील साहब!अब हमारा क्या होगा।कहाँ जाएंगे।क्या करेंगे।क्या खाएंगे।"

"कैसे केस चलेगा!हम कँहा से रूपये लाएंगे ।वकील बाबू  हमारी जमीन वापस दिला दो।'

वकील साहब अश्रुपूरित हुए नेत्रों से कहा

"हम कोशिश करेंगे पर कह तो नहीं सकते कि केस का नतीजा क्या होगा।..हाँ,बच्चों की पढ़ाई के लिए हम सरकार की सहायता दिलवाने की पूरजोर लगावेंगे...कि इनकी पढ़ाई बिना विघ्न बाधा के हो जाए।"

वकील राम नारायण बाबू ने अपनी कही बात का वादा भी निभाया।गिरवी रखे घर में एक छोर पर रहने की इजाजत मिल गई।बच्चे पढ़ तो रहे थे पर घर की आर्थिक तंगी जंजाल बन गई थी।
जमे हुए पैसों से माधव का इलाज चल रहा था वह भी सरकारी मदद से सरकारी अस्पताल में।तब भी खर्च पूरा नहीं पड़ता था।

******
शुभिता की तबीयत अब ठीक तो हो गई थी,लेकिन अब एक नया प्राब्लम आ गया।उसका बच्चा ठीक से ग्रो नहीं कर पा रहा था।डॉक्टर भार्गव ने खास ऐतिहातन सरीन को राजपुर सिटी हौस्पिटल बुलाया था।

"मि. रस्तोगी, आप ध्यान से सुनें ।बच्चे में कुछ दिक्कत है।हो सकता  है कि आठवें महीने तक बच्चा खुद को रिकवर कर ले,या फिर हो सकता है कि बच्चे का कोई एक अंग पूरी तरह से नार्मल न हो।"

"अब तीन महीने का वक्त हो रहा है।फिर ये पहला बच्चा भी है तो मैं चाहूंगी कि आप लोग इसे ऐसे ही ऐक्सेप्ट कर लें।आगे आपकी मरजी।"

शुभिता रो पड़ी। "नहीं नहीं डॉक्टर.. मुझे ये बच्चा चाहिए।जैसा भी हो मुझे ये चाहिए.. बस चाहिए।"

"शुभि.. रो मत..।तुम जो चाहोगी वही होगा।सब ठीक होगा।टेंशन मत लो।अपना खयाल रखो।...ओ.के..।वह शुभि को सांत्वना देते हुए बोला।सबठीक होगा.. सब ठीक होगा।"

***क्रमशः
©
सीमा..✍️❤️

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3 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 09:48 AM

Good

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Niraj Pandey

08-Oct-2021 04:20 PM

वाह बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने👌

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Nice 🙂🙂🙂🙂

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